मनसबदारी व्यवस्था मुगल सैनिक व्यवस्था का मूलाधार थी जो मंगोलों की दशमलव प्रणाली पर आधारित थी। मनसब कोई पदवी या पद संज्ञा नहीं थी बल्कि यह किसी अमीर की स्थिति का बोध कराती थी। इस प्रकार मनसब का अर्थ श्रेणी था। अकबर ने अपने अंतिम वर्षों में मनसबदारी व्यवस्था में जात एवं सवार नामक द्वैध मनसब प्रथा में प्रारंभ किया। जात शब्द से व्यक्ति के वेतन तथा पद की स्थिति का बोध होता था जबकि सवार शब्द से घुड़सवार दस्ते की संख्याओं का बोध होता था। सर्वोच्च मनसब वाले मनसबदार खान-ए-खाना कहलाता था। जहांगीर ने मनसब व्यवस्था में परिवर्तन कर दो-अस्पा और सिंह अस्पा पदों को मनसब से जोड़ा गया।
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