बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध थे। महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में हुआ था।

बौद्ध धर्म,ईसाई और इस्लाम धर्म के बड्ड दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। बौद्ध धर्म की उत्पत्ति ईसाई और इस्लाम धर्म के पहले हुई है। बौद्ध धर्म को मानने वाले भारत,चीन,कंबोडिया,भूटान,श्रीलंका,नेपाल,जापान,थाईलैंड आदि कई देशों में रहते है।
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महात्मा बुद्ध का संक्षिप्त जीवन वृतांत
- बौद्ध धर्म के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध का जन्म नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु के समीप लुंबिनी ग्राम में शाक्य क्षत्रिय कुल के राजा शुद्धोधन के यहां 563 ईसा पूर्व में हुआ था।
- सत्य की खोज के लिए उन्होंने गृह त्याग कर दिया, इस घटना को बौद्ध धर्म में ‘महाभिनिष्क्रमण’ कहा गया है।
- 35 वर्ष की आयु में गया (बिहार) में उरुवेला नामक स्थान पर पीपल वृक्ष के नीचे निरंजना नदी (पुनपुन नदी) के तट पर वैशाख पूर्णिमा की रात को समाधिस्थ अवस्था में सिद्धार्थ को ज्ञान (निर्वाण) प्राप्त हुआ, इसी दिन से वह महात्मा बुद्ध कहलाए।
- यहाँ से वे सारनाथ में आए, यहां पर उन्होंने सर्वप्रथम पांच ब्राह्मण सन्यासियों को अपना प्रथम उपदेश दिया, जिसे बौद्ध साहित्य में ‘धर्म चक्र प्रवर्तन’ के नाम से जाना जाता है।
- उन्होंने सर्वाधिक उपदेश श्रावस्ती में दिए और मगध उनकी शिक्षाओं का प्रमुख प्रचार केंद्र था। वह अवंती तथा गंधार नहीं जा सके थे।
- उनके अनुयायी शासकों में बिंबिसार (मगध), प्रसेनजित (कौशल) तथा उद्दयन (कौशांबी) का नाम उल्लेखनीय है ‘उपालि’ व ‘आनंद’ का नाम प्रमुख रूप से उल्लेखनीय है।
- महात्मा बुद्ध अपने धर्म प्रचार के अंतिम पड़ाव में वे हिरण्यवती नदी के तट पर स्थित कुशीनगर पहुंचे, यहां पर 80 वर्ष की आयु में 483 ई पू में उनका देहांत हो गया। इस घटना को बौद्ध परंपरा में ‘महापरिनिर्वाण’ के रूप में जाना जाता है।
बौद्ध धर्म के सिद्धांत एवं दर्शन
महात्मा बुद्ध के वचनों व उपदेशों का संकलन त्रिपिटकों के रूप में किया गया।
त्रिपिटक
- विनय पिटक – इनमें संघ संबंधी नियमों, दैनिक आचार विचार व विधि निषेधों का संग्रह है।
- सूक्त पिटक – इसमें बौद्ध धर्म के सिद्धांत व उपदेशों का संग्रह है।
- अभिधम्मपिटक – इसमें दार्शनिक सिद्धांतों का संग्रह है।
चार आर्य सत्य
- विश्व दुःखमय है।
- तृष्णा दुख के मूल में है।
- तृष्णा पर विजय दुःख निरोध है।
- अष्टांगिक मार्ग दुःख निरोध गामिनी प्रतिपदा है।
अष्टांगिक मार्ग
- सम्यक दृष्टि : यथार्थ स्वरूप पर ध्यान
- सम्यक संकल्प : दूसरों के प्रति द्वेष व हिंसा का त्याग का संकल्प
- सम्यक वाक् : असत्य, निंदा व अप्रिय वचन नहीं
- सम्यक कर्मान्त : अहिंसा व इंद्रिय संयम
- सम्यक आजीविका : जीविकोपार्जन हेतु पवित्र रास्ता
- सम्यक् व्यायाम : शुद्ध ज्ञान युक्त प्रयत्न
- सम्यक् स्मृति : निरंतर चेतना
- सम्यक समाधि : चित्त को एकाग्र करना
बौद्ध संगीतियों का विवरण
प्रथम बौद्ध संगीति
समय – बुद्ध की मृत्यु के तत्काल बाद
स्थान – राजगृह ।
शासक – अजातशत्रु
अध्यक्ष – महाकश्यप
उपलब्धि – उपालि द्वारा विनय पिटक का पाठ एवं आनंद द्वारा सुत्तपिटक का पाठ (लिपिबद्ध नहीं)
द्वितीय बौद्ध संगीति
समय : बुध की मृत्यु के एक 100 वर्ष पश्चात
स्थान : वैशाली
अध्यक्ष : सर्वकामी या थेरयश
पलब्धि : स्थिविरवादी (थेरवादी) एवं महासांघिक में विभाजन
तृतीय बौद्ध संगीति
समय : लगभग चौथी शताब्दी ईस्वी पूर्व
स्थान : पाटलिपुत्र
शासक : अशोक महान
अध्यक्ष : मोगलिपुत्र तिस्स
उपलब्धि : अमिधम्म पिटक के सर्वप्रमुख अंश कथावस्तु का संकलन।
चतुर्थ बौद्ध संगीति
समय : प्रथम सदी ई
स्थान : कश्मीर/ जालंधर
शासक : कनिष्क
अध्यक्ष : वसुमित्र, उपाध्यक्ष- अश्वघोष।
उपलब्धि : महायान और हीनयान में विभाजन
बौद्ध धर्म के त्रिरत्न
- बुद्ध
- धम्म
- संघ
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