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Exam Stores – GK in Hindi – सामान्य ज्ञान एवं करेंट अफेयर्स

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बिहार की प्रमुख फसलें तथा उत्पादन क्षेत्र

बिहार की प्रमुख फसलें तथा उत्पादन क्षेत्र

Posted on September 17, 2021September 26, 2021 By DiwakarAditya No Comments on बिहार की प्रमुख फसलें तथा उत्पादन क्षेत्र

बिहार का प्रमुख फसलें और उसके उत्पादन क्षेत्र

बिहार में होने वाले सभी परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान जानकारी है l ( BPSC, BPSSC, BSSC, CSC, BIHAR SI and  ALL COMPETITION LEVEL EXAM)

Table of Contents

  • धान
  •  गेहूँ
  • मक्का
  • मारूआ (रागी)
  • ज्वार 
  • बाजरा  
  • जूट
  • तीसी 
  • राई व सरसों 
  • तिल 
  • रेंडी 
  • अरहर
  • चना
  • मसूर 
  • खेसारी 
  • आलू 
  • तंबाकू
  • मेस्ता

धान

बिहार में कृषि की सफलता मानसून पर निर्भर करती है। बिहार में चावल लोगों का मुख्य भोजन है जो धान की फसल से प्राप्त होता है बिहार में सर्वाधिक क्षेत्र में धान की फसल उगाई जाती है। धान की कृषि में सुधार तथा कई वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जा रहा है जो मानसून की कमी पर भी भरपूर उत्पादन दे सके। बिहार के मैदानी क्षेत्रों में ग्रीष्मकालीन (औस) और शीतकालीन (अमन) नामक दो फसलें उगाई जाती है। धान तापमान, उर्वर मिट्टी और 125 सेमी से अधिक वर्षा के क्षेत्र में उगाया जाता है! यह उत्तर दशाएं बिहार के मैदानी भागों (मध्यवर्ती गंगा के मैदान) में उपलब्ध है दक्षिण का पठारी भाग धान के लिए उपयुक्त नहीं है, फिर भी नदी घाटियों और तराई के क्षेत्रों में धान उगाया जाता है। 

धान की उत्तम कृषि गंगा के उत्तर वाले समतल भू-भाग में होता है जहां हिमालय से निकलकर गंगा में मिलने वाली छोटी-छोटी अनेक नदियों प्रतिवर्ष बाढ़ के साथ जलोढ़ मिट्टी की नई परत से क्षेत्र को उपजाऊ बना देती है। पश्चिम में बूढ़ी गंडक और पूर्व में कोसी नदी के मध्य विस्तृत उत्तरी मैदान धान की कृषि का आदर्श क्षेत्र माना जाता है। जलवायु की विभिन्नता के फलस्वरूप बिहार में ग्रीष्मकालीन,शरदकालीन और शीतकालीन धान की फसलें उगाई जाती है बिहार में इन्हीं अगहनी, गरमा एवं भदई फसलों के रूप में जाना जाता है। बिहार में अगहनी धान की खेती सबसे अधिक भूमि पर होती है। वैसे तो संपूर्ण बिहार में धान की थोड़ी-बहुत कृषि होती है, लेकिन बिहार के उत्तरी मैदान के पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, पूर्णिया, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, कटिहार, समस्तीपुर, वैशाली, सारण, सिवान, गोपालगंज आदि जिलों में तथा गंगा के दक्षिण में शाहाबाद, गया, पटना और मुंगेर जिले में धान अधिक उगाया जाता है!

 गेहूँ

बिहार में खाद्दानो में चावल के बाद गेहूं का प्रमुख स्थान है।  गेहूं रबी की प्रमुख फसल है जो नवंबर-दिसंबर में बोई जाती है और मार्च-अप्रैल में काटी जाती है। इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी उत्तम रहती है जो नमी धारण करने की क्षमता रखती है। गंगा के दियारा में इसका उत्पादन उल्लेखनीय होता है गेहूं का प्रमुख क्षेत्र संचित मैदानी भागों तक ही सीमित है। उत्तर बिहार में गेहूं की कृषि का विख्यात क्षेत्र बागमती नदी का कछारी भाग है जिसके दक्षिण और पश्चिमी भाग में गेहूं की कृषि बड़े पैमाने पर की जाती है। गंगा के उत्तरी मैदान के प्रमुख जिलों में चंपारण, मुजफ्फरपुर, सहरसा, वैशाली, समस्तीपुर आदि है। गंगा के दक्षिण वाले मैदानी भागों में भी गेहूं उत्पादित किया जाता है जिसमें भोजपुर, रोहतास, नालंदा, शाहाबाद, गया,  पटना,  मुंगेर और भागलपुर है। 

मक्का

बिहार राज्य में चावल और गेहूं के बाद सर्वाधिक क्षेत्र में बोई जाने वाली फसल मक्का है।  मक्का खरीफ की फसल है जो जून-जुलाई में बोई जाती है और सितंबर अक्टूबर में काट ली जाती है। मक्का की कृषि हेतु हल्की और चिकनी मिट्टी अच्छी रहती है। बिहार की बाल सुंदरी मिट्टी इसकी खेती के लिए उत्तम है।  बिहार में मक्का का मुख्य उत्पादन क्षेत्र उत्तरी बिहार में स्थित है जहां यह सारण, चंपारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सहरसा तथा मुंगेर और भागलपुर जिलों में पैदा होती है!!  

मारूआ (रागी)

मरूआ मोटे अनाजों के अंतर्गत आता है। इस अन्ना का उपयोग मजदूरों और श्रमिकों किसानों को मजदूरी देने में होता है।   बिहार मरुआ का सबसे अधिक उत्पादन करता है। बिहार के दरभंगा जिले में मरूआ सर्वाधिक उत्पादित होता है।  मैदानी भाग में दरभंगा, सहरसा, मुजफ्फरपुर, सारण और गया जिलों में अच्छा उत्पादन होता है। 

ज्वार 

मोटे अनाजों में ज्वार बिहार की महत्वपूर्ण फसल है।  यह मई के प्रारंभ में बोई जाती है और अगस्त में काट ली जाती है। बिहार में शुष्क प्रदेशों और पठारी क्षेत्रों में कहीं-कहीं ज्वार उत्पादित की जाती है।  शाहाबाद, चंपारण तथा मुंगेर जिले इसके उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र हैं। सर्वाधिक ज्वार शाहाबाद में होती है। 

बाजरा  

ज्वार की भांति बाजरा भी एक मोटा अनाज है मैदानी भागों में भी कहीं कहीं से उगाया जाता है। पटना, गया, मुंगेर तथा शाहाबाद प्रमुख मैदानी जिले हैं, जहां बाजरा की कृषि की जाती है!! 

गन्ना 

बिहार भारत के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में एक है।  गन्ना यहां की नकदी फसल है जिसका प्रयोग चीनी उद्योगों में किया जाता है! गन्ने के लिए अधिक वर्षा, भुरभुरी दोमट तथा मटियारी व चुना युक्त मिट्टी की आवश्यकता होती है। बिहार में कोसी से पश्चिम की ओर एक विशाल क्षेत्र जो नेपाल के साथ उत्तरी सीमावर्ती क्षेत्रों तक विस्तृत है,जिसमें गन्ना उगाया जाता है। यहां के गन्ना उत्पादक जिले में चंपारण, सारण, गया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, भागलपुर, शाहाबाद, पटना, पूर्णिया, सहरसा और मुंगेर मुख्य हैं। 

जूट

बिहार जूट उत्पादन के क्षेत्र में भारत का द्वितीय राज्य है।  यहां इसके उत्पादन हेतु पर्याप्त वर्षा हो जाती है और नदियों द्वारा लाई गई उपजाऊ कांप मिट्टी विस्तृत क्षेत्र में उपलब्ध है।  प्रति वर्ष बाढ़ द्वारा नवीन मिट्टी जम जाती है जो जूट उत्पादन के लिए उत्तम होती है।   बिहार में पूर्णिया में सर्वाधिक जूट पैदा की जाती है उसके उपरांत सहरसा, चंपारण, दरभंगा और मुजफ्फरपुर जिले में भी जूट उत्पादित की जाती है। 

तीसी 

इसका उत्पादन क्षेत्र गंगा का मैदानी भाग है। बिहार में तीसी का उत्पादन पटना, तिरहुत, और भागलपुर मंडलों  में होता है। सर्वाधिक उत्पादक जिलों में शाहाबाद, गया प्रमुख है। दरभंगा जिले में प्रति हेक्टेयर उत्पाद सर्वाधिक होता है। 

राई व सरसों 

बिहार में उत्पादित की जाने वाली तिलहन फसलों में राई और सरसों का स्थान प्रमुख है राज्य में भोजन बनाने में इसके तेल का प्रयोग सर्वाधिक किया जाता है। यह  फसल राज्य के लगभग सभी जिलों में थोड़ी-बहुत मात्रा में उगाई जाती है, लेकिन मैदानी भाग में इसकी उपज अधिक होती है।  तिरहुत, पटना मंडल में के क्षेत्र में सरसों उगाई जाती है। प्रति हेक्टेयर उत्पादन की दृष्टि से पूर्णिया जिला राज्य का सबसे प्रमुख जिला है।

तिल 

तिलहन के अंतर्गत तिल एक प्रमुख फसल है। इसका प्रयोग खाद्य पदार्थ के अतिरिक्त तेल एवं सौंदर्य प्रसाधन सामग्री में होता है। 

तिल दो प्रकार के होता है- (1) काला  (2) सफेद, बिहार में काला व सफेद दोनों ही प्रकार का तिल उगाया जाता है। बिहार में गया, चंपारण और शाहाबाद जिलों में तिल उत्पादित होता है। 

रेंडी 

रेंडी अथवा अरंडी भारत की प्रमुख तिलहन फसल है रेंडी का प्रयोग जलाने, उद्योग व चिकनाहट के लिए होता है। बिहार में अरंडी का उत्पादन सामान्य रूप से सभी जिलों में होता है। खेतों के किनारे रेंडी के पौधे लगा दिए जाते हैं। इसकी खेती कम उपजाऊ भूमि व ऊंची नीची भूमि में भी हो जाती है। बिहार में भागलपुर, मुंगेर, पटना, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया और सारण जिलों में इसकी खेती अधिक होती है। 

अरहर

अरहर खरीफ की फसल के साथ उगाई जाती है। और रबी की फसल के साथ काटी जाती है। बिहार में अरहर 65000 हेक्टेयर भूमि पर बोई जाती है।इसके उत्पादन के लिए साधारण किस्म की कम उपजाऊ भूमि आवश्यक होती है। उत्पादन की दृष्टि से बिहार के लगभग सभी जिलों में थोड़ी बहुत मात्रा में अरहर उत्पादित होती है, किंतु सारण, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, मुंगेर और गया जिले अरहर के मुख्य उत्पादक जिले हैं। 

चना

बिहार की दलहन फसलों में चना का मुख्य स्थान है। चने का उपयोग दाल के अतिरिक्त अन्य कई रूपों में किया जाता है। चने की फसल के लिए मटियार दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। बालू युक्त चिकनी मिट्टी में भी इसका उत्पादन अच्छा होता है।  बिहार में चना उत्पादक जिलों में शाहाबाद, गया, पटना, मुंगेर और भागलपुर जिले मुख्य हैं। अन्य जिलों में सारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा तथा पूर्णिया में चने की फसलें उगाई जाती है।

मसूर 

मसूर का दलहनी फसलों में प्रमुख स्थान है। मसूर का उत्पादन पटना जिले में सर्वाधिक होता है। अन्य जिलों में गया, चंपारण आदि का स्थान भी प्रमुख है। 

खेसारी 

यह दलहन उत्पादक क्षेत्र की दृष्टि से बिहार की प्रमुख दलहनी फसल है। यह  साधारण उपजाऊ भूमि में मिश्रित फसल के रूप में उगाई जाती है। खेसारी का दाल के रूप में सेवन करने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अतः इसका उत्पादन धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।

आलू 

आलू सामान्यतया  मैदानी और पठारी व पहाड़ी सभी क्षेत्रों में उगाया जाता है। इसकी उपज दोमट, चिकनी दोमट तथा बलुई मिट्टी में अच्छी तरह होती है। आलू की फसल 60 दिनों में तैयार हो जाती है। सामान्यतया बिहार के हर जिले में आलू पैदा किया जाता है। लेकिन नालंदा जिले का बिहार शरीफ आलू उत्पादन में प्रसिद्ध है। इसके बाद गया, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर, सारण, शाहाबाद, दरभंगा, चंपारण आदि जिलों में भी यह बड़े पैमाने पर उत्पादित किया जाता है। 

तंबाकू

भारत विश्व का तृतीय तंबाकू उत्पादक देश है। बिहार भारत का छठवां तंबाकू उत्पादक राज्य है।  बिहार में समस्तीपुर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, मुंगेर और पूर्णिया जिलों में तंबाकू उत्पादित होता है।

मेस्ता

जूट के बाद रेशे की फसलों में सनई और मेस्ता का नाम उल्लेखनीय है। मेस्ता की पैदावार भी अधिकांश बिहार के मैदानी भागों में होती है।  इन फसलों के लिए उच्च तापमान अत्यधिक वर्षा व उपजाऊ भूमि की आवश्यकता होती है।  यहाँ  पूर्णिया, सहरसा, चंपारण, सारण, पटना, मुंगेर, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा तथा गया जिलों में मेस्ता उगाया जाता है।

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BIHAR, Study Material Tags:BIHAR, bpsc, UPSC

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