भारत का व्यापारिक सम्पदा सदा ही विदेशियों को आकर्षित किया है,इसलिए विदेशियों का भारत में आगमन होता रहा है । इसी क्रम में भारत में यूरोपियों कंपनी का आगमन 1498 ईस्वी में सबसे पहले पुर्तगाल के रूप में होता है,जो व्यापार करने के लिए आता है तथा धीरे धीरे भारत पर अधिकार करते जाता है । पुर्तगाल के बाद क्रमशः डच,अंग्रेज और फ़्रांसिसी आये।
भारत में यूरोपीय व्यापारिक कंपनी का स्थापना वर्ष
यूरोपीय व्यापारिक कंपनी | स्थापना वर्ष |
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पुर्तगाली ईस्ट इंडिया कंपनी | 1498 |
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी | 1600 |
डच ईस्ट इंडिया कंपनी | 1602 |
फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी | 1664 |
भारत में पुर्तगालियों का आगमन
- यूरोपीय व्यापारियों के रूप में सर्वप्रथम पुर्तगाली ही भारत आए थे ।
- सर्वप्रथम पुर्तगाल नाविक वास्को डी गामा 1498 ई० में भारत के कालीकट में पहुँचा था ।
- केप ऑफ गुड होप मार्ग से 17 मई, 1498 ई० में भारत के पश्चिमी तट पर स्थित कालीकट बन्दरगाह पहुँचकर वास्को-डि-गामा ने भारत और युरोप के बीच नये समुद्री मार्ग की खोज की थी ।
- 90 दिनों की समुद्री यात्रा के बाद वास्को-डि-गामा एक गुजराती पथ-प्रदर्शक अब्दुल मनीद की सहायता से भारत के कालीकट पहुँचा था।
- भारत के कालीकट के तत्कालीन हिन्दू शासक जमौरिन ने वास्को-डि-गामा का स्वागत किया था।
- वास्को-डि-गामा ने भारत आने और पुर्तगाल वापस जाने के क्रम में हुए यात्रा-व्यय से 60 गुना अधिक कमाई की थी ।
- पुर्तगाली ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1498 ई० में हुई थी |
- पुर्तगालियों के द्वारा अपनी पहली व्यापारिक कोठी कोचीन में खोला गया ।
- सर्वप्रथम, यूरोपीय देश पुर्तगाल ने भारत को उपनिवेश बनाया था।
- पुर्गालियों के भारत आगमन के दो प्रमुख उद्देश्य थे- प्रथम,अरबों और वेनिस के व्यापारियों का भारत पर से प्रभाव खत्म करना और दूसरा,ईसाई धर्म का भारत में प्रचार करना।
- भारत आने वाला दूसरा पुर्तगाली पेड्रो अल्वारेज केब्राल था।
- पुर्गालियों ने पेड्रो अल्वारेज केब्राल के नेतृत्व में ही कालीकट में प्रथम कारखाना खोला था।
- पुर्तगालियों ने भारत में कालीकट, दमन एवं दीव, गोवा और हुगली के बन्दरगाहों में अपनी व्यापारिक कोठियां स्थापित की ।
- 1502 ई० में वास्को-डि-गामा भारत में दूसरी बार आया।
- 1503 ई० में उसने कोचीन (भारत) में अपने प्रथम दुर्ग की स्थापना की ।
- पुर्तगालियों ने भारत में स्थापित अपनी बस्तियों की देखभाल के लिए 1505 ई० में फ्रांसिस्को द अल्मेडा को प्रथम पुर्तगाली वायसराय बनाकर भेजा, जो 1509 ई० तक भारत में रहा था।
- फ्रांसिस्को द अल्मेडा ने 1509ई० में मिस्त्र, तुर्की और गुजरात की संयुक्त सेना को परास्त करके दीव पर अपना अधिकार कर लिया।
- 1509 ईस्वी में पुर्गालियों का दूसरा वायसराय बनकर अल्फांसो द अल्बुकर्क भारत आया।
- अल्बुकर्क 1510 ई० में बीजापुर के शासक युसुफ आदिल शाह से गोवा जीत लिया ।
- गोवा को पुर्तगालियों ने अपनी राजनीतिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र के रूप में स्थापित किया ।
- अल्बुकर्क को भारत में पुर्तगाली साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। उसने कोचीन को अपना मुख्यालय बनाया।
- अल्बुकर्क की मृत्यु 1515 ई० में हो गयी,उसे गोवा में दफनाया गया ।
- सन – थोमे दक्षिण-पूर्वी तट पर पुर्तगालियों की एकमात्र बस्ती थी।
- अगले पुर्गाली वायसराय नीनो-डी-कुन्हा ने 1530 ई० में अपना मुख्यालय कोचीन से गोवा स्थानान्तरित कर लिया।
- नीनो-डी-कुन्हा ने गोवा को पुर्तगाली साम्राज्य की भारतीय राजधानी बनाया ।
- कुन्हा के नेतृत्व में पुर्तगालियों का 1534 ई० में भारत के बसीन परऔर फिर 1535 ई० में दीव पर अधिकार हो गया।
- कुन्हा के बाद जोवा-डी-कास्त्रो भारत में अगला पुर्तगाली वायसराय बना ।
- 1518 ई० में पुर्गालियों ने कोलम्बो में और फिर मलक्का में कारखानों की स्थापना की।
- 1559 ई० तक पुर्तगालियों द्वारा भारतीय क्षेत्र पर अधिकार – गोवा, दमन, दीव , बसीन, सॉलसेर, बम्बई , हुगली , सान्थोमी , चौल आदि
- कार्टूज व्यवस्था : पुर्तगाली अपने अधिकार क्षेत्र में आए सामुद्रिक मार्गों पर सुरक्षा-कर की वसूली करते थे, जिसे कार्ट्ज व्यवस्था कहते हैं।
- संत जेवियर 1542 ई० में भारत आया था। उसने कई भारतीयों का ईसाई धर्म में धर्मांतरण किया था।
- 1560 ई० में गोवा में पुर्तगालियों ने ईसाई धर्म न्यायालय की स्थापना की थी।
- गोथिक स्थापत्य कला का भारत में शुरुआत पुर्तगालियों ने की थी।
- पुर्तगालियों के भारत आगमन से भारत में आलू, तम्बाकू की खेती, जहाज निर्माण एवं प्रिंटिंग प्रेस का सूत्रपात हुआ।
- 1556 ई० में पुर्तगालियों ने भारत के गोवा में प्रथम प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना की थी।