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मौद्रिक तटस्थता क्या है ?
जब मुद्रा आपूर्ति का उत्पादन पर, वास्तविक ब्याज पर या रोजगार के स्तर पर प्रभाव न पड़े तब इसे मौद्रिक तटस्थाता की स्थिति कहा जाएगा। 18वीं शताब्दी के अर्थशास्त्री डेविड ह्यूम का विचार है कि आर्थिक क्रियाएं अप्रयोज्यमूलक (irrational) अथवा वास्तविक होती है। अप्रयोज्यमुलक सदा वास्तविक को प्रभावित नहीं करते। परंतु आधुनिक अर्थशास्त्री इस मत से सहमत नहीं है। उनके अनुसार मुद्रा आपूर्ति प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से वास्तविक आर्थिक तत्वों को प्रभावित करती ही है। इसे शास्त्रीय द्वैतवाद (Classical Dichotomy) भी कहा जाता है।