मुद्रा क्या है ?
मुद्रा का प्रचलन अत्यंत प्राचीन है, परंतु इसका प्रयोग मुख्यतः: विनिमय के लिए होता था। मुद्रा अपने विकास क्रम में चार मुख्य कार्य को अंजाम देती है- 1. विनिमय का माध्यम (Medium) 2.मूल्य का मानदंड (Measure) 3. स्थगित भुगतान का मानदंड तथा 4. मूल संचय (Store of value)
प्राथमिक कार्य के अतिरिक्त भी कई कार्य मुद्रा के साथ जुड़े हैं। प्रारंभ में मुद्रा पत्थर के टुकड़े, चमरा तथा धातु के रूप में विकसित हुई। बैंकिंग व्यवस्था के विकास के साथ-साथ मुद्रा, कागजी मुद्रा तथा प्लास्टिक मुद्रा(Plastic Money) का रूप धारण कर चुकी है। मुद्रा ने अब ई-मुद्रा का रूप भी धारण कर लिया है जहां वास्तविक मुद्रा के बदले केवल इलेक्ट्रॉनिक(Electronic) खाता स्थानांतरण हो जाता है। मुद्रा की वैधानिक मान्यता होती है तथा इसे देश की सीमा के भीतर अनिवार्य रूप से स्वीकार किया जाता है। मुद्रा को चूंकि देश की सार्वभौमिक सत्ता का समर्थन प्राप्त होता है इसलिए इसे Legal Tender भी कहा जाता है।